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नीव का पत्थर। Hindi moral story। lessonable story।
Published: 1 year agoCategory:
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नीव का पत्थर। Hindi moral story। lessonable story। लाल बहादुर श्रास्त्री, बड़े ही, हसमुख स्वाभाव के थे लोग प्रायः ही ,उनसे उनके हसमुख स्वाभाव ,और निःस्वार्थ सेवा भावना ,के लिए प्रभावित हो जाया करते थे, एक बार, लाल बहादुर श्रास्त्री को ,लोक सेवा मंडल का, सदस्य बनाया गया,लेकिन लाल बहादुर श्रास्त्री, बहुत संकोची थे, वे कभी नहीं चाहते थे, की उनका नाम ,अखबारों में छपे ,और लोग उनकी प्रशंशा ,और स्वागात करे,एक बार ,शास्त्री जी के मित्र नें ,उनसे पूछा, “शास्त्री जी, आप अख़बारों में, नाम छपवाने में ,इतना परहेज़ क्यों करते हैं शास्त्री जी मुस्कुराए, और बोले, “लाला लाजपत राए जी, ने मुझे ,लोक सेवा मंडल के, कार्यभार को सोंपते हुए, कहा था की, लाल बहादुर, ताजमहल में, दो तरह के पत्थर लगे हैं, एक ,बढ़िया संगमरमर के पत्थर हैं, जिन्हें दुनियां देखती है, और प्रशंशा करती है, और दुसरे ,ताजमहल की नीव में लगे हैं ,जो दीखते नहीं, और जिनके जीवन में ,अँधेरा ही अँधेरा है, लेकिन Orders को, वे ही खड़ा किए हुए है, लालजी के ये शब्द, मुझे हमेशा याद रहते हैं ,और में, नीव का पत्थर, बना रहना चाहता हूँ,इसलिए हमें भी, ज़िन्दगी में, दिखावे से बचकर ,वो कार्य ,करना चाहिए जो, असल में ज़रूरी है,
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