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वैदिक हिंदू नव वर्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल

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वैदिक हिंदू नव वर्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल

वैदिक हिंदू नव वर्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल

Published: 1 year ago

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#AapTakTimes आज वैदिक हिंदू नव वर्ष महर्षि दयानंद सरस्वती विक्रम संवत 2080 चैत्र शुक्ल द्वितीय के जन्म शताब्दी के उपलक्ष पर ज्ञान ज्योति पर्व का आयोजन स्वामी सुमेधानंद सरस्वती लोक सभा सांसद सीकर राजस्थान के निवास स्थान बंगला नंबर 1 हरीश चंद्र माथुर लेन जनपद में आयोजित किया गया जिसमें लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर जी, रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव जी भूतपूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद जी ग्रामीण विकास, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, सांसद डॉक्टर हर्षवर्धन जी, माननीय सांसद एसपी सिंह बघेल जी एवं राजस्थान हरियाणा उत्तर प्रदेश के कई सांसदों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई यह आयोजन मानव अधिकार सुरक्षा संघ के पदाधिकारियों विजय तोमर ( राष्ट्रीय महासचिव), पृथ्वी सिंह चौहान राहुल बंसल आशु पंडित ललित त्यागी एवं मंगू सिंह त्यागी जी द्वारा किया गया इस कार्यक्रम में सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती द्वारा महर्षि दयानंद सरस्वती जी जाति से एक ब्राह्मण थे और इन्होने शब्द ब्राह्मण को अपने कर्मो से परिभाषित किया। ब्राह्मण वही होता हैं जो ज्ञान का उपासक हो और अज्ञानी को ज्ञान देने वाला दानी होता है। महर्षि दयानंद सरस्वती वैदिक धर्म में विश्वास रखते थे। उन्होंने राष्ट्र में व्याप्त कुरीतियों एवं अंधविश्वासो का सदैव विरोध किया। उन्होंने समाज को नयी दिशा एवं वैदिक ज्ञान का महत्व समझाया। इन्होने कर्म और कर्मो के फल को ही जीवन का मूल सिधांत बताया था। यह एक महान विचारक थे, जिन्होंने अपने विचारों से समाज को धार्मिक आडम्बर से दूर करने का प्रयास किया और स्वराज्य का संदेश दिया। जिसे बाद में बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया और स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार हैं का नारा दिया। देश के कई महान सपूत स्वामी दयानंद सरस्वती जी के विचारों से प्रेरित थे और उनके दिखाये मार्ग पर चलकर ही उन सपूतों ने देश को आजादी दिलाई वर्ष 1875 में महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने गुड़ी पड़वा के दिन मुंबई में आर्य समाज की स्थापना किया। आर्य समाज का मुख्य धर्म, मानव धर्म ही था जिसे इन्होने परोपकार, मानव सेवा, कर्म एवं ज्ञान को मुख्य आधार बताया जिनका उद्देश्य मानसिक, शारीरिक एवम सामाजिक उन्नति था। ऐसे विचारों के साथ स्वामी जी ने आर्य समाज की नींव रखी मानवाधिकार सुरक्षा संघ ने इसी प्रोग्राम में यह प्रण लिया की भविष्य में भी ऐसे ही प्रोग्राम वह पूरे भारत में आयोजित करते रहेंगे।

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