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रावण की 11 बातें जो रामायण में छुपाई गयी Ravan Ki 11 Achchi Bate Ramayan
Published: 1 year agoCategory:
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रावण की 11 बातें जो रामायण में छुपाई गयी | Ravan Ki 11 Achchi Bate Jo Ramayan Me Chupai Gayi
About the video - Hello friend.. in this video.. we have told you 12 Interesting and good things about Ramayana... the main character of Ramayana.....
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आज रावण की कुछ ऐसी ही खूबियों की बात करते हैं जो उसे दुष्ट होते हुए भी महान बनाती थी... रावण बहुत विद्वान, चारों वेदों का ज्ञाता और ज्योतिष विद्या में पारंगत था. इसी कारण रावण की विद्वता से प्रभावित होकर भगवान शंकर ने अपने घर की वास्तु शांति हेतु आचार्य पंडित के रूप में दशानन को निमंत्रण दिया था....
रावण लंका का राजा था। वह अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था.. जिसके कारण उसका नाम दशानन (दश = दस + आनन = मुख) भी था। किसी भी कृति के लिये नायक के साथ ही सशक्त खलनायक का होना अति आवश्यक है। रामकथा में रावण ऐसा पात्र है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने काम करता है। किंचित मान्यतानुसार रावण में अनेक गुण भी थे। सारस्वत ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण एक परम शिव भक्त.. उद्भट राजनीतिज्ञ.. महापराक्रमी योद्धा.. अत्यन्त बलशाली.. शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता...प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी था। रावण के शासन काल में लंका का वैभव अपने चरम पर था इसलिये उसकी लंकानगरी को सोने की लंका अथवा सोने की नगरी भी कहा जाता है... लंकेश “रावण” एक कुशल राजनीतिज्ञ..सेनापति और वास्तुकला का मर्मज्ञ होने के साथ-साथ तत्व ज्ञानी तथा बहु-विद्याओं का जानकार था। उसे मायावी इसलिए कहा जाता था कि वह इंद्रजाल.. तंत्र.. सम्मोहन और तरह-तरह के जादू जानता था। उसके पास एक ऐसा विमान था.. जो अन्य किसी के पास नहीं था। इस सभी के कारण सभी उससे भयभीत रहते थे... रामचंद्र का विरोधी और शत्रु होने के बावजूद रावण ‘सिर्फ बुरा’ ही नहीं था। वह बुरा बना तो सचमुच में ही प्रभु श्रीराम की इच्छा से। होइए वही जो राम रचि राखा। एक बुराई आपकी सारी अच्छाइयों पर पानी फेर देती है और आप देवताओं की नजरों में भी नीचे गिर जाते हैं। रावण मे कितना ही राक्षसत्व क्यों न हो, उसके गुणों विस्मृत नहीं किया जा सकता। ऐसा माना जाता हैं कि रावण शंकर भगवान का बड़ा भक्त था। वह महा तेजस्वी.. प्रतापी.. पराक्रमी.. रूपवान तथा विद्वान था। वाल्मीकि उसके गुणों को निष्पक्षता के साथ स्वीकार करते हुये उसे चारों वेदों का विश्वविख्यात ज्ञाता और महान विद्वान बताते हैं.... रावण जहाँ दुष्ट था और पापी था..वहीं उसमें शिष्टाचार और ऊँचे आदर्श वाली मर्यादायें भी थीं। राम के वियोग में दुःखी सीता से रावण ने कहा है.. “हे सीते! यदि तुम मेरे प्रति काम-भाव नहीं रखती तो मैं तुझे स्पर्श नहीं कर सकता।” शास्त्रों के अनुसार वन्ध्या..रजस्वला...अकामा आदि स्त्री को स्पर्श करने का निषेष है अतः अपने प्रति अ-कामा सीता को स्पर्श न करके रावण शास्त्रोचित मर्यादा का ही आचरण करता है। वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस दोनों ही ग्रंथों में रावण को बहुत महत्त्व दिया गया है। राक्षसी माता और ऋषि पिता की सन्तान होने के कारण सदैव दो परस्पर विरोधी तत्त्व रावण के अन्तःकरण को मथते रहते हैं। कहते हैं कि रावण लंका का तमिल राजा था। सभी ग्रंथों को छोड़कर वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण महाकाव्य में रावण का सबसे ‘प्रामाणिक’ इतिहास मिलता है..... विद्वान और प्रकांड पंडित होने से आप अच्छे साबित नहीं हो जाते। अच्छा होने के लिए नैतिक बल का होना जरूरी है। कर्मों का शुद्ध होना जरूरी है। शिव का परम भक्त, यम और सूर्य तक को अपना प्रताप झेलने के लिए विवश कर देने वाला.. प्रकांड विद्वान.. सभी जातियों को समान मानते हुए भेदभावर हित रक्ष समाज की स्थापना करने वाला रावण आज बुराई का प्रतीक माना जाता है इसलिए कि उसने दूसरे की स्त्री का हरण किया था। वाल्मीकि रावण के अधर्मी होने को उसका मुख्य अवगुण मानते हैं। उनके रामायण में रावण के वध होने पर मन्दोदरी विलाप करते हुए कहती है.. “अनेक यज्ञों का विलोप करने वाले...
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