Kedar Seeker सनातन संस्कार
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महामृत्युंजय मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे ..... (१२१ जाप)
Published: 1 year agoCategory:
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
मंत्र का अर्थ हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं, हमारा पोषण करते हैं, जिस तरह फल, शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं। ?
चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है। ? इसे मृत्यु पर विजय पाने वाला महा मृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। ?
त्र्यंबकम् – तीन नेत्रों वाले •यजामहे – जिनका हम हृदय से सम्मान करते हैं और पूजते हैं •सुगंधिम - जो एक मीठी सुगंध के समान हैं •पुष्टिः – फलने फूलनेवाली स्थिति •वर्धनम् – जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं •उर्वारुकम् -ककड़ी •इव – जैसे, इस तरह •बंधनात् – बंधनों से मुक्त करनेवाले •मृत्योः - मृत्यु से •मुक्षीय - हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें •मा - न •अमृतात् -अमरता, मोक्ष ?
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Neelmani . 1 year ago
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
Namaste Italy . 1 year ago
अति सुन्दर Pandit ji ?
Kedar Seeker सनातन संस्कार . 1 year ago
आभार ???️??