knowledge is infinite
- 11 followers
- Category: Technology
- | Follow
milets मोटे अनाज , ज्वार ,बाजरा , मक्का, कोदो , कुटकी भारत बन चुका है विश्वगुर
Published: 8 months agoCategory:
- Technology
About:
मोटे अनाज यानी छोटे दानों वाले अनाज, जैसे ज्वार, बाजरा, रागी इत्यादि. ये प्राचीन फसलें हैं, यानी माना जाता है कि करीब 7,000 सालों से इन्हें उगाया और खाया जा रहा है. बल्कि एक तरह से मानव सभ्यता के इतिहास में खेती की शुरुआत ही इन्हीं फसलों से हुई थी.
भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों द्वारा भी मोटे अनाजों को उगाने और खाने के पुरातत्व संबंधी सबूत मिले हैं. आधुनिक युग में जब धीर-धीरे चावल और गेहूं ज्यादा लोकप्रिय हो गए तो मोटे अनाज हाशिए पर धकेल दिए गए, लेकिन आज भी इन्हें दुनिया भर में कम से कम 130 देशों में उगाया जाता है.
चावल और गेहूं के मुकाबले मोटे अनाजों के कई फायदे हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन (एफएओ) के मुताबिक मोटे अनाज सूखी जमीन में कम से कम लागत मे आसानी से उगाए जा सकते हैं. ये जलवायु परिवर्तन का भी प्रभावशाली रूप से सामना कर सकते हैं. एफएओ का कहना है, "इसलिए ये उन देशों के एक आदर्श समाधान हैं जो आत्मनिर्भरता बढ़ाना चाहते हैं और आयातित अन्न पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं."
इसके अलावा पोषण की दृष्टि से भी मोटे अनाजों को बेहद लाभकारी माना जाता है. एफएओ का कहना है कि ये प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-फ्री होते हैं और इनमें प्रचुर मात्रा में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल, प्रोटीन और आयरन होता है. संस्था के मुताबिक ये विशेष रूप से "उन लोगों के एक बहुत अच्छा विकल्प हो सकते हैं जिन्हें सीलिएक बीमारी, ग्लूटेन इनटॉलेरेंस, उच्च ब्लड शुगर या मधुमेह है
बस यहि कारण है कि हमारे भारत देश के द्वारा जब अमेरिका मे मिलेट्स मोटे अनाज का प्रस्ताव ले जाया गया तो संयुक्त राष्ट्र के साथ साथ अन्य 72 देशो ने इस प्रस्ताव को समर्थन दिया जिससे हाथो हाथ ही हमारे भारत के इस प्रस्ताव पास कर दिया गया . आने वाले महीनों में इस अभियान के तहत संयुक्त राष्ट्र कई कार्यक्रमों और गतिविधियों का आयोजन करेगा. भारत इस अभियान की अगुवाई कर रहा है. मोटे अनाज के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देकर भारत सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य उत्पादन में एक बड़े बदलाव और मानव जाति को एक पोषण से भरपुर बेहद लाभकारी अनाजो की सौगात दे रहा है । संयुक्त राष्ट्र 2023 को मिलेट्स (मोटे अनाज) के अंतरराष्ट्रीय साल के रूप में मना रहा है लेकिन यह पड़ाव एक ऐसी लंबी यात्रा के बाद आया है जिसकी शुरुआत भारत में करीब 10 साल पहले हुई थी.
मोटे अनाज मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका में उगाए जाते हैं और भारत इनका सबसे बड़ा उत्पादक देश है. भारत के बाद उत्पादन में अफ्रीकी देश नाइजर, फिर चीन और फिर नाइजीरिया का स्थान है. अमेरिकी सरकार के कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में पूरी दुनिया में मोटे अनाजों के उत्पादन में भारत की 39 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, नाइजर की 11 प्रतिशत, चीन की नौ प्रतिशत और नाइजीरिया की सात प्रतिशत हिस्सेदारी रही है ।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तरपर भले भारत का उत्पादन विशाल लगता हो, भारत के अंदर धान और गेहूं के मुकाबले मोटे अनाज का उत्पादन बहुत ही कम होता है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 में देश में सिर्फ 1.7 करोड़ टन मोटे अनाज का उत्पादन हुआ. इसके मुकाबले 23 करोड़ टन से भी ज्यादा धान और गेहूं का उत्पादन हुआ.
Please Login to comment on this video
- Video has no comments